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कोरोना वायरस : दिल्ली मे नाइट कर्फ्यू का एलान, सरकार पर फुटा व्यापारिंयो का गुस्सा।

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  आम आदमी पार्टी कर रही है करोनो के नाम पर सियासत दिल्ली में रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाये जाने पर दिल्ली के व्यापारियों और स्थानीय लोगो ने दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध किया है लोगो को कहा कि ऐसा मालूम होता है कि दिल्ली सरकार लोगो के साथ मजाक कर रही है। तहलका की रिर्पोट मुताबिक व्यापार एसोसिएशन से जुड़े पीयूष जैन का कहना है कि क्या रात को कोरोना होता , दिन में नही होता है यानि सुबह 5 बज कर 1 मिनट के बाद कोरोना नहीं होगा। व्यापारी मनोज गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार की आम पार्टी की सरकार ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वो भी देश की अन्य पार्टियों की तरह कोरोना के नाम पर सियासत करेगी। क्योंकि रात को कर्फ्यू लगने से दुकानदार मजबूरी में लोगो को औने - पौने दामो में समान बेचेंगे खासतौर पर वो लोग जिनकी दुकानें घरों में है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन बार बार कह चुके है कि लॅाकड़ाउन कोई हल नहीं है । ऐसे में नाइट कर्फ्यू के जरिए मूवमेंट पर थोड़ी रोक लगाने की कोशिश है। सोमवार को दिल्ली में कोरोना वायरस को पॅाजिटिविटी रेट 5% से ज्यादा हो गया जिसके बाद सरका

बिहार -विधानसभा से सड़क तक हंगामा, विधायकों को घसीटकर बाहर किया गया

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  सोशल मीड़िया पर एक वीड़ियो तेजी से वायरल हो रहा है वीड़ियो लोकतंत्र के मंदिर बिहार विधानसभा का है नीतीश बाबू के राज में एक सिपाही विपक्ष के विधायक को  घसीट रहा है और दूसरा लात मार रहा है दरअसल विधान सभा में 23 मार्च को विपक्ष के सदस्यो के हंगामे और विधानसभा अध्यक्ष के चेंम्बर के बाहर धरना देना के कारण पहली बार राज्य के संसदीय विधानसभा के अंदर पुलिस बुलानी पड़ी पुलिस ने सदन के अंदर प्रवेश कर विपक्ष के विधायको की जम कर पिटाई की ...और महिला विधायको के साथ जमकर बदसलूकी की गई.. बिहार विशेष सशस्त्र , पुलिस विधेयक ,2021 विधेयक पिछले हफ्ते विधाम सभा में विधान सभा में पेश किया गया जो बिहार BMP का नाम बदलने का प्रस्ताव करता है ... विधेयक अधिक शक्तिया देता है और बगैर वारंट के लोगो को गिरफ्तार करने का अधिकार है… बिहार में पुलिस बल को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सामने है 23 मार्च को बेरोजगारी, बढती महंगाई और कानून व्यवस्था को लेकर युवा राजद के कार्यकर्ताओ ने जहां सड़क पर प्रदर्शन किया था वहीं विधायको ने विधानसभा में पुलिस विधेयक का विरोध किया था ..प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी यादव को भी पुलिस ने हिरासत

"सहाबा इकराम रजि. की मेंहनत से सारे आलम में इस्लाम फैला"

यू समझये एक मेंहनत है जो हुजूर अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इकराम ने एक ख़ास नक्शे के साथ की है हम भी चाहते है के हम उस मेंहनत के तरीके को सीखे औऱ अलहमदुलिल्लहा दोस्तो ने मुतफ़रिक मुल्को में कुछ कुछ इस को सीखना शुरु भी कर दिया है लेकिन किसी जगह की मेंहनत इंतिहा को पहुंची हुई नहीं है बल्के मेंहनत दर्जो में है अगर जगह की मेंहनत करने वाले यू समझे के पूरी मेंहनत ये ही है और इस की शक्ल भी ये ही है तो मेंहनत की असल शक्ल पर कोई नहीं पहुंच सकेगा जो भी मेंहनत करे वो यू समझे के में जो मेंहनत कर रहा हूं ये इब्तिदाई मेंहनत है और मुझे मेंहनत करते करते हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेंहनत के नक्शे पर पहुंचना है अब जब वो इस मेंहनत को असल जानेगे तो इंसान समझेगा के इस के मुकाबले में ये मेंहनत छोटी सी है असल नहीं है अगर वो असल मेंहनत के सामने हो तो फिर इंसान समझेगा के मेंरी मेंहनत इस के मुकाबले में बहुत छोटी है लिहाजा असल मेंहनत पर पहुँचना है इस मेंहनत को सामने रखे और मेंहनत करे और सोचे के मुझे तरकी कर के असल मेंहनत तक पहुँचना है अब एक तरफ तो ये सोचना के इस मेंहनत का फाइदा क्या है और

तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है

  तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है इस वजह से इसका समझना और इसके मुताबिक मेंहनत करना मुश्किल होता है , लिहाजा जितने आलम में इंसान यूरोप और ऐशिया में है वो सब कामयाबी के लिये मेंहनत कर रहै है लेकिन बावजूद मेंहनत के कामयाबी की हक़ीकत हासिल नहीं हो रही है अगरचे बाज़ को शोहरत हासिल होती है और कामयाबी से महरुमी की वज़ह मासिवा पर मेंहनत करना है जो करने वाला है उसकी तहक़ीक़ नहीं की जा रही है जो चीजे आलात के तौर पर है उन मेंहनत की जा रही है जब तक फाइल (करने वाले) और मफऊल (होने वाले) को ना पहचाना जाये तो आलात का उसूल इंसानो को कामयाबी पर नहीं पहुचायेगा .. जिस कदर आलात की कसरत आज है पहले किसी ज़माने में नहीं रही है -- लेकिन इस सब के बावजुद कामयाबी हासिल नहीं हो रही है हर चीज़ की एक सुरत होती है और एक हकीकत अनार की एक हक़ीकत और एक सुरत भी है और हकीकत भी "फला बाग की सुरत भी है - हक़ीकत भी है" सुरत तो मिट्टी और काग़ज से हासिल की जा सकती है लेकिन हकीकत थोड़ी सी जान और थोड़े से माल लगने से हासिल नहीं होती है बल्के इसके लिये ज़बरदस्त मेंहनत करनी और जान लगा

दावत ए ईमान

मैं मुगालता के तौर पर नहीं अर्ज कर रहा हूं बल्कि तारीक इसकी गवाह है कि जब उम्मत दावते इलल्लाह छोड देगी तो सबसे पहली जो मुसलमानों को कमजोरी पैदा होगी , वह यह कि अपने दीन को हल्का समझने और अपने दीन को दूनिया के बदले बेच देगी, यह सिर्फ दावत के छोडने का नतीजा होता है, कि जब उम्मत इज्तिमाई तौर पर दावते इलल्लाह को छोड देती है तो ऐसा होता है इसलिये यह बात भी हमें समझनी चाहिये कि दावते इलल्लाह उम्मत का इज्तिमाई फरीजा है, जिस तरह नमाज इज्तिमाई फरीजा है, यह इंफिरादी फरीजा नहीं है। यह  वह दावत है जो इस उम्मत के जिम्मे फर्जे ऐन है, फर्जे किफाया नहीं है। मेंरी यह बात कहना आपको अजीब सा लग रहा होगा, क्योंकि जहनों में यह बात बैठी हुई है कि यह तबलीगी जमाअत है जो उम्मत की इस्लाह का काम कर रही है, पर ऐसा नहीं है। इस काम में लोगों का इज्तिमाई तौर पर शरीक न होना, और इस काम को न करना इसकी बुन्यादी वजह यह है कि उम्मत इस काम को फर्जे किफाया समझती है कि भलाई का हुक्म करना और बुराई से रोकना , बेशक अच्छा काम है, अगर इसे एक जमाअत कर ले तो बाकी की तरफ से जिम्मेदारी अदा हो जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है, बल्की दावत फर

क्षेत्रीय विकास की रूपरेखा

शहरों के मुकाबले भारत के गाँव अधिक  पिछड़ेपन का शिकार होते जा रहे हैं। हमे यह भी स्वीकार करना होगा कि भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँव मे निवास करती हैं क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती हैं। गाँव किसी शहर की  अपेक्षा कम जनसंख्या रखते हैं परन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से  छोटे शहरों के समान हैं। क्षेत्रफल समान रूप से बराबर है लेकिन शहरों के मुकाबले गाँवो तक विकास नही पहुँच रहा हैं। विकास ना पहुँचने के अनेक कारण भी शामिल हैं लेकिन मेरा मानना है कि आर्थिक विकास दर गाँव मे कमी होती जा रही है। जिसका परिणाम यह है कि भारत के गांव में निवास करने वाले लोग गरीबी रेखा से दूर नहीं है क्योंकि शहरों के मुक़ाबले गाँव मे ऊर्जा की खपत आजादी के दौरान से कम रही हैं। शहरों में ऊर्जा की खपत अधिक होने के कारण विकास अधिक लोगों तक पहुंच गया है, विकास के मामले में सरकार का भी दोहरा चरित्र शुरू से ही रहा हैं। विश्व का आर्थिक विकास ऊर्जा की बढ़ती खपत रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के किसानों का आभार प्रकट किया हैं उत्तर प्रदेश दूध व अन्य जैसे गेंहू, गन्ना,आलू आम के उत्पादन

बेहतर विकल्प क्या है।।

जिस को भी देखो सत्ता म सुख पाने लिए बेताब होता जा रहा हैं। मानों सारी समस्याओं का समाधान सत्ता में छुपा रखा है। हाँ साथियो हमने आज सिर्फ अपना स्वार्थ देखा स्वार्थी होना ठीक है लेकिन इतना भी नही की देशवासियों पर हो रहे  अत्याचार पर एक शब्द बोलने से पहले अपना नफा नुकसान तलाशा जाये। एक तरफ शिक्षा का निजीकरण हो रहा है दूसरी तरफ लोगो को मारा जा रहा है। कुछ चंद लोग इकट्ठा होकर अपनी आवाज़ हो बुलन्द करते है तो कोई साथ देने को तैयार नही होता है । 313 ने वक्त के बादशाहों के खिलाफ लोहा लिया था और देखते ही देखते 313 की कुर्बानी का असर पूरी दुनिया मे में मौजूद है। वर्तमान सरकार की राजनीति दलित , मुस्लिम आदिवासी विरोधी है। किसान विरोधी है मजदूर विरोधी है देश को पूंजीवादी ताकतों के हाथों में दे दिया गया है। आज देश का युवा दुसरो की हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है । ऐसे लोगों के हाथ मे रिमोर्ट है जो नही चाहते देश का युवा कुछ नया सोचे अपने सपनो के भारत को देखे हमारी युवा पीढ़ी को ऐसे गड्ढे में धकेल जा रहा है जहां अंधकार ही अंधकाIर है। अपने सपनो का भारत जब भी सोचता हूँ तो चारो तरफ  अब्दुल कलाम , आर्यभट्ट