"सहाबा इकराम रजि. की मेंहनत से सारे आलम में इस्लाम फैला"
यू समझये एक मेंहनत है जो हुजूर अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इकराम ने एक ख़ास नक्शे के साथ की है हम भी चाहते है के हम उस मेंहनत के तरीके को सीखे औऱ अलहमदुलिल्लहा दोस्तो ने मुतफ़रिक मुल्को में कुछ कुछ इस को सीखना शुरु भी कर दिया है लेकिन किसी जगह की मेंहनत इंतिहा को पहुंची हुई नहीं है बल्के मेंहनत दर्जो में है अगर जगह की मेंहनत करने वाले यू समझे के पूरी मेंहनत ये ही है और इस की शक्ल भी ये ही है तो मेंहनत की असल शक्ल पर कोई नहीं पहुंच सकेगा जो भी मेंहनत करे वो यू समझे के में जो मेंहनत कर रहा हूं ये इब्तिदाई मेंहनत है और मुझे मेंहनत करते करते हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेंहनत के नक्शे पर पहुंचना है अब जब वो इस मेंहनत को असल जानेगे तो इंसान समझेगा के इस के मुकाबले में ये मेंहनत छोटी सी है असल नहीं है अगर वो असल मेंहनत के सामने हो तो फिर इंसान समझेगा के मेंरी मेंहनत इस के मुकाबले में बहुत छोटी है लिहाजा असल मेंहनत पर पहुँचना है इस मेंहनत को सामने रखे और मेंहनत करे और सोचे के मुझे तरकी कर के असल मेंहनत तक पहुँचना है अब एक तरफ तो ये सोचना के इस मेंहनत का फाइदा क्या है और