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"सहाबा इकराम रजि. की मेंहनत से सारे आलम में इस्लाम फैला"

यू समझये एक मेंहनत है जो हुजूर अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इकराम ने एक ख़ास नक्शे के साथ की है हम भी चाहते है के हम उस मेंहनत के तरीके को सीखे औऱ अलहमदुलिल्लहा दोस्तो ने मुतफ़रिक मुल्को में कुछ कुछ इस को सीखना शुरु भी कर दिया है लेकिन किसी जगह की मेंहनत इंतिहा को पहुंची हुई नहीं है बल्के मेंहनत दर्जो में है अगर जगह की मेंहनत करने वाले यू समझे के पूरी मेंहनत ये ही है और इस की शक्ल भी ये ही है तो मेंहनत की असल शक्ल पर कोई नहीं पहुंच सकेगा जो भी मेंहनत करे वो यू समझे के में जो मेंहनत कर रहा हूं ये इब्तिदाई मेंहनत है और मुझे मेंहनत करते करते हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेंहनत के नक्शे पर पहुंचना है अब जब वो इस मेंहनत को असल जानेगे तो इंसान समझेगा के इस के मुकाबले में ये मेंहनत छोटी सी है असल नहीं है अगर वो असल मेंहनत के सामने हो तो फिर इंसान समझेगा के मेंरी मेंहनत इस के मुकाबले में बहुत छोटी है लिहाजा असल मेंहनत पर पहुँचना है इस मेंहनत को सामने रखे और मेंहनत करे और सोचे के मुझे तरकी कर के असल मेंहनत तक पहुँचना है अब एक तरफ तो ये सोचना के इस मेंहनत का फाइदा क्या है और

तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है

  तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है इस वजह से इसका समझना और इसके मुताबिक मेंहनत करना मुश्किल होता है , लिहाजा जितने आलम में इंसान यूरोप और ऐशिया में है वो सब कामयाबी के लिये मेंहनत कर रहै है लेकिन बावजूद मेंहनत के कामयाबी की हक़ीकत हासिल नहीं हो रही है अगरचे बाज़ को शोहरत हासिल होती है और कामयाबी से महरुमी की वज़ह मासिवा पर मेंहनत करना है जो करने वाला है उसकी तहक़ीक़ नहीं की जा रही है जो चीजे आलात के तौर पर है उन मेंहनत की जा रही है जब तक फाइल (करने वाले) और मफऊल (होने वाले) को ना पहचाना जाये तो आलात का उसूल इंसानो को कामयाबी पर नहीं पहुचायेगा .. जिस कदर आलात की कसरत आज है पहले किसी ज़माने में नहीं रही है -- लेकिन इस सब के बावजुद कामयाबी हासिल नहीं हो रही है हर चीज़ की एक सुरत होती है और एक हकीकत अनार की एक हक़ीकत और एक सुरत भी है और हकीकत भी "फला बाग की सुरत भी है - हक़ीकत भी है" सुरत तो मिट्टी और काग़ज से हासिल की जा सकती है लेकिन हकीकत थोड़ी सी जान और थोड़े से माल लगने से हासिल नहीं होती है बल्के इसके लिये ज़बरदस्त मेंहनत करनी और जान लगा