तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है

 तबलीग के ज़रिये जिस तरफ मुतवज्जेह किया जा रहा है उस का रिवाज नहीं है इस वजह से इसका समझना और इसके मुताबिक मेंहनत करना मुश्किल होता है , लिहाजा

जितने आलम में इंसान यूरोप और ऐशिया में है वो सब कामयाबी के लिये मेंहनत कर रहै है लेकिन बावजूद मेंहनत के कामयाबी की हक़ीकत हासिल नहीं हो रही है अगरचे बाज़ को शोहरत हासिल होती है और कामयाबी से महरुमी की वज़ह मासिवा पर मेंहनत करना है जो करने वाला है उसकी तहक़ीक़ नहीं की जा रही है जो चीजे आलात के तौर पर है उन मेंहनत की जा रही है
जब तक फाइल (करने वाले) और मफऊल (होने वाले) को ना पहचाना जाये तो आलात का उसूल इंसानो को कामयाबी पर नहीं पहुचायेगा .. जिस कदर आलात की कसरत आज है पहले किसी ज़माने में नहीं रही है -- लेकिन इस सब के बावजुद कामयाबी हासिल नहीं हो रही है हर चीज़ की एक सुरत होती है और एक हकीकत अनार की एक हक़ीकत और एक सुरत भी है और हकीकत भी "फला बाग की सुरत भी है - हक़ीकत भी है" सुरत तो मिट्टी और काग़ज से हासिल की जा सकती है लेकिन हकीकत थोड़ी सी जान और थोड़े से माल लगने से हासिल नहीं होती है बल्के इसके लिये ज़बरदस्त मेंहनत करनी और जान लगानी पड़ती है आप बाज़ार जावे और चंद कोडी औऱ पैसो में सुरत को ले आये लेकिन बाग की हक़ीकत और फूलो की हक़ीकत हासिल करने के लिये ज़बरदस्त मेंहनत करनी पड़ती है सुरत के मिलने पर ख़ुशी नहीं हासिल हो जावेगी लेकिन हक़ीकत के जितने मफाद है वो हासिल नहीं होंगे इसलिये के सुरतो के हाकाएक़ का ताल्लुक नहीं है एक तो कामयाबी की सुरत और एक उस की हक़ीकत है - सरमाया का हाँथ में आ जाना बाग मिल जाना मुल्क व माल मिल जाना ये कामयाबी की सुरत है और हक़ीकत कामयाबी वो है जिस के लिये हम ने चीज़ो को हासिल किया जरुरतों का पूरा हो जाना अमन व आफियत मिल जाना सेहत व तंरुस्ती का मिल जाना यह कामयाबी की हकीकत है ,और अगर हम एक दूसरे के दुश्मन है और पगड़ीया उछालते है और परेशानी की जिंदगी गुजार रहे है तो यह कामयाबी नहीं है -और वक्ति तौर पर किसी चीज का मिल जाना भी कामयाबी नहीं है इज्जत ना मिलना इज्जत मिल कर छीन जाना , माल मिलना माल मिल कर छिन जाना दोनो नाकामिया है अक्लमंदो के नजदीक कामयाबी का मायार यह है के चीजे मिलकर मिल कर छिनती नहीं और हमेशा चीजो का मिल जाना कामयाबी है अगर वक्ती तौर पर हालात दुरुस्त हो जाये और मुस्तकिल तौर पर बिगड़ जाये तो नाकामी है --कामयाबी का जो हक़ीकते है उन का ताल्लुक़ अल्लाह पाक की जात के साथ है अल्लाह करने वाले है और इंसान की जात वो है जिस के साथ किया जा रहा है जब हम इस दूनिया से चले जायेगे तो इस आलम को तोड़ दिया जावेगा अल्लाह खुद फाइल है और इंसान मफऊल और आलात बदलते रहते है उन को जिस के लिये इस्तेमाल करेगे वो इस्तेमाल हो जावेगे...
#tbligjamat

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